Skip to content

Kabir ke Dohe in Hindi PDF | कबीर दास के दोहे pdf

आज हम शेयर कर रहें हैं Kabir ke Dohe in Hindi PDF आप इस कबीर दास के दोहे pdf को डायरेक्ट डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए Get pdf file बटन पर क्लिक करें।

Kabir ke Dohe in Hindi PDF – कबीर दास के दोहे pdf

Kabir ke Dohe in Hindi PDF | कबीर दास के दोहे pdf
Kabir ke Dohe in Hindi PDF | कबीर दास के दोहे pdf
PDF NameKabir ke Dohe in Hindi PDF
No. of Pages82
PDF Size333 KB
LanguageHindi
CategoryEducation and Job
SourcePDF9.in
Download LinkAvailable ✔
DownloadsYes
Kabir ke Dohe in Hindi PDF

यह भी पढ़ें रिच डैड पुअर डैड pdf

कबीर के दोहे का परिचय

कबीर के दोहे, कबीर के जीवन का एक अहम हिस्सा हैं। इन खूबसूरत दोहे में गहरी बुद्धिमत्ता और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महान विचार व्यक्त किए गए हैं। कबीर के दोहे हिंदी साहित्य और आध्यात्मिक शिक्षा में एक विशेष स्थान रखते हैं। इन दोहों में प्रस्तुत की गई गहरी बुद्धिमत्ता हमें अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। इन कबीर के दोहों की शिक्षाएं नित्यानंदिता के विलोम से प्रभावी होती हैं और समय और स्थान की सीमाओं को पार करती हैं। यह हमें एक अर्थपूर्ण और उद्दीपक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

कबीर का जीवन

कबीर, जन्मग्रहण के समय वाराणसी शहर में पैदा हुए थे। वे एक मुस्लिम परिवार से संबंध रखते थे, लेकिन उन्होंने हिंदू और इस्लाम धर्म के तत्वों को मिलाकर एक अद्वितीय आध्यात्मिक मार्ग को अपनाया। कबीर के जीवन के बारे में अनेक किंवदंतियां और कहानियां हैं। उनकी बुद्धिमानी, सरलता और विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के बीच गहरे संबंध बनाने की क्षमता के लिए उन्हें जाना जाता था।

क्लिक करों 👉   All Colours Name with Picture PDF | Colours Name in Hindi English


कबीर दास के 10 दोहे हिंदी में अर्थ सहित (Kabir ke Dohe in Hindi)

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।1।

अर्थ : कबीरदास जी कहते है किसी व्यक्ति से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि उससे ज्ञान की बात करनी चाहिए | क्योंकि असली मोल तो तलवार का होता है, म्यान का नहीं |

मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार ।
तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुरि न लागे डारि ।2।

अर्थ : कबीरदास जी कहते है मानव जन्म पाना कठिन है | यह शरीर बार-बार नहीं मिलता | जो फल वृक्ष से नीचे गिर पड़ता है वह पुन: उसकी डाल पर नहीं लगता | इसी तरह मानव शरीर छूट जाने पर दोबारा मनुष्य जन्म आसानी से नही मिलता है, और पछताने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता |

क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई, देखत नैन चला जग जाई।
एक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण कै दीवा न बाती।3|

अर्थ : कबीर साहेब कहते है यदि एक मनुष्य अपने एक पुत्र से वंश की बेल को सदा बनाए रखना चाहता है तो यह उसकी भूल है। जैसे लंका के राजा रावण के एक लाख पुत्र थे तथा सवा लाख नाती थे। वर्तमान में उसके कुल (वंश) में कोई घर में दीप जलाने वाला भी नहीं है | सब नष्ट हो गए। इसलिए हे मानव! परमात्मा से तू यह क्या माँगता है जो स्थाई ही नहीं है |

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ।4।

अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो आप किसके चरण स्पर्श करेंगे? गुरु ने अपने ज्ञान से ही हमें भगवान से मिलने का रास्ता बताया है इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है और हमें गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए |

ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।5।

अर्थ : कबीर दास जी इस दोहे में कह रहे है कि मनुष्य को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे। ऐसी भाषा दूसरे लोगों को तो सुख पहुँचाती ही है, इसके साथ खुद को भी बड़े आनंद का अनुभव होता है |

क्लिक करों 👉   206 Bones Name List PDF in Hindi | 206 हड्डियों के नाम PDF

बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।6

अर्थ : कबीर दास जी कहते है ऐसे बड़े होने का क्या फायदा कि जैसे खजूर का पेड़ न तो किसी को छाया देता है और उसका फल भी बहुत ऊचाई पर होता है | उसी तरह मनुष्य के बड़े होने का क्या फायदा है जब आप किसी का भला नही कर सकते |

पाहन पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।
याते तो चक्की भली, पीस खाये संसार ।7।

अर्थ : कबीर दास जी इस दोहे में मनुष्य को समझाते हुए कहते हैं कि किसी भी देवी-देवता की आप पत्थर की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं जो कि शास्त्र विरुद्ध साधना है। जो कि हमें कुछ नही दे सकती। इनकी पूजा से अच्छा चक्की की पूजा कर लो जिससे हमें खाने के लिए आटा तो मिलता है।

काल करै सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब ।8।

अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है उसको आज ही कर डालो, और जो आज करना है उसको अभी कर डालो, क्यूंकि पलभर में प्रलय जो जाएगी फिर आप अपने काम कब करोगे।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ।9।

अर्थ : कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते है कि दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में सब ईश्वर को भूल जाते हैं। अगर सुख में भी ईश्वर को याद करो तो दुःख कभी आएगा ही नहीं।

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए ।
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए ।10।

अर्थ : कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते है कि आप कितना भी नहा धो लीजिए, लेकिन अगर आप का मन साफ़ नहीं है तो ऐसे नहाने का क्या फायदा, जैसे मछली हमेशा पानी में रहती है लेकिन फिर भी वो साफ़ नहीं होती, मछली में तेज बदबू आती है।

क्लिक करों 👉   When His Eyes Opened Book PDF

कबीर के दोहों का महत्व

कबीर के दोहे साधारण कविताएं नहीं हैं, वे एक गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक खजाना हैं। इन दोहों में मनुष्य के अस्तित्व के मूल्यवान पहलुओं पर जाते हैं, और उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। कबीर के दोहे सदैविक हैं, समय और स्थान की सीमाओं को पार करते हैं और जीवन को एक अर्थपूर्ण और उद्दीपक तत्व में परिवर्तित करते हैं। ये दोहे एक मार्गदर्शक के रूप में सेवा करते हैं, जो हमें एक सार्थक और उद्दीपक जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करते हैं।

कबीर के दोहों में छिपी बुद्धिमत्ता

प्रेम और भक्ति

कबीर ने अपने दोहों में प्रेम और भक्ति की महत्वता पर जोर दिया। प्रेम कबीर के मार्ग में मुक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। प्रेम में समर्पित होकर, व्यक्ति अपने आप को आत्मा से मिलाता है और सर्वोच्च सत्ता में भक्ति करता है। यह दोहे हमें प्यार और समर्पण की महत्वता को समझने के लिए प्रेरित करते हैं।

समानता और एकता

कबीर के दोहों में समानता और एकता के सिद्धांत भी प्रमुख हैं। उन्होंने जाति और धर्म की सीमाओं को तोड़कर सभी में दिव्यता की पहचान की। इन दोहों से हमें सभी में भाईचारे की महत्वता और समानता के मूल्य को समझने का संकेत मिलता है।

सरलता और आध्यात्मिकता

कबीर के दोहों में सरलता और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है। वे सामग्री से मुक्त होने की विधि सिखाते हैं और आंतरिक यात्रा को गले लगाते हैं। ये दोहे हमें सरलता, आत्मनिरीक्षण और आंतरिक शांति की महत्वता को याद दिलाते हैं।

सत्य और नैतिकता

कबीर के दोहे में सत्य और नैतिकता के तत्वों को महत्व दिया गया है। उन्होंने सत्य कहने का महत्व बताया है और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा दी है। ये दोहे हमें सत्य और नैतिकता के प्रति संवेदनशीलता को स्थापित करने का संकेत देते हैं।

अंत में

कबीर के दोहे हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण धारा हैं जो हमें आध्यात्मिक और मानवीय सिद्धांतों को समझने का अद्वितीय मार्ग प्रदान करती हैं। इन दोहों में छिपी गहरी बुद्धिमत्ता, प्रेम, समानता, सरलता, आध्यात्मिकता, सत्य और नैतिकता के सिद्धांत हमें जीवन की महत्वपूर्ण बातें सिखाते हैं। ये दोहे हमारे जीवन को धन्य और उद्दीपक बनाने की क्षमता रखते हैं।

FAQs: Kabir ke Dohe in Hindi PDF

क्या कबीर के दोहे केवल हिंदी में ही मिलते हैं?

जी हां, कबीर के दोहे हिंदी में ही मिलते हैं।

कबीर का जन्म कहाँ हुआ था?

कबीर का जन्म वाराणसी शहर में हुआ था।

क्या कबीर के दोहे सभी धर्मों के लिए मान्य हैं?

हां, कबीर के दोहे सभी धर्मों के लिए मान्य हैं। उन्होंने सभी में एकता और समानता की महत्वता बताई है।

क्या कबीर के दोहों का महत्व समय के साथ खो जाएगा?

नहीं, कबीर के दोहों का महत्व समय के साथ खो जाने की संभावना नहीं है। उनके दोहे सदैविक हैं और मनुष्यों को सदैव प्रभावित करेंगे।

Share this post on social!
Rohit Soni

Rohit Soni

Hi! We’re PDF9.in. A dedicated portal where one can download any kind of PDF files for free, with just a single click. यदि किसी भी प्रकार की कॉपीराइट सामग्री हमारे वेबसाइट पर है तो कृपया आप हमें जरूर मेल करे 48 घंटे के अंदर उसे डिलीट कर दूंगा- RohitRemove@gmail.com If any kind of copyrighted material is on our website, please mail us, I will delete it within 48 hours.View Author posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *